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Reporting the underreported about the plan of action for People, Planet and Prosperity, and efforts to make the promise of the SDGs a reality.
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SGI Soka Gakkai International

 

सतत विकास आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण होता है

जया रामचंद्रन द्वारा विश्लेषण

जीनीवा (आईडीएन) - आतंकवादियों के हाथों में परमाणु सामग्री आने से रोकने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए आयोजित किए गए वॉशिंग्टन में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के आयोजन के कुछ दिन बाद, जीनीवा में यूएन सम्मेलन का आयोजन किया गया जहाँ हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के संभावित तरीकों पर चर्चा की गई।

7-8 अप्रैल को सम्मेलन का आयोजन हिंसक उग्रवाद का प्रतीक बन गए आईएसआईएल, अल-कायदा और बोको हराम जैसे आतंकवादी गुटों और इस खतरे से निपटने के उपायों पर चर्चा के लिए किया गया था।

यूएन महासचिव बान कि-मून के अनुसार, सभी प्रकार के आतंकवाद से मुक़ाबला करने की योजना का एक महत्वपूर्ण तत्व सतत विकल लक्ष्यों (एसडीजी)  का पूर्ण क्रियान्वयन होना चाहिए, क्योंकि इन लक्ष्यों के पूर्ण होने से हिंसक उग्रवाद के अनेक सामाजिक-आर्थिक संचालकों का संबोधन होगा। एसडीजी महिला सशक्तिकरण और युवा सहभागिता पर प्रकाश डालते हैं, क्योंकि ऐसे समाज जहाँ समानता और समावेश अधिक होता है वे हिसक उग्रवाद के प्रति कम कमज़ोर पड़ते हैं।

आतंकवाद के लिए अनुकूल हिंसक उग्रवाद की घटना की जड़ या सीमा किसी धर्म, क्षेत्र, राष्ट्रीयता या जातीय समूह में निहित नहीं होती। हिंसक उग्रवाद की रोकथाम पर जीनीवा सम्मेलन में अपनी बात असरदार तरीके से रखते हुए बान ने कहा, वास्तव में, दुनियाभर में ज़्यादातर पीड़ित मुसलमान हैं।

"हिंसक उग्रवाद का उद्देश्य ज़रूरी नहीं है हमें शिकार बनाना हो। इसका उद्देश्य हमें एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करना है। उनका सबसे बड़ा मिशन कार्यवाही नहीं है; प्रतिक्रिया है। इसका उद्देश्य समुदायों को बांटना है। इसका लक्ष्य है डर के राज की स्थापना करना," उन्होने आगे कहा।

"उस दिवालिया रणनीति को पूरी तरह से रोकने" का आह्वान करते हुए, बान ने घोषणा की: हिंसक उग्रवाद यूएन चार्टर और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के लिए सीधा खतरा हैं। व्यापक और परस्पर संबंधित मुद्दों का संबोधन करते हुए, उन्होने आगे कहा, "वे शांति और सुरक्षा को कायम रखने, सतत विकास को प्रोत्साहन देने, मानवाधिकारों के लिए आदर को बढ़ावा देने और अनिवार्य मानवीय सहायता प्रदान करने  के हमारे समूहिक प्रयासों को खोखला करते हैं।"

उन्होने युवाओं की ऊर्जा का उपयोग करने की वकालत की, जो उनकी दृष्टि में हिंसक उग्रवाद की रोकथाम की वैश्विक तलाश में प्रमुख "निर्माण खंड" है। "हम तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक कि हम दुनिया भर के 1.8 अरब युवाओं के आदर्शवाद, रचनात्मकता और ऊर्जा का उपयोग नहीं करते। वे हम से दूरदृष्टि, साहस और नेतृत्व की आस लगाए हुए हैं।"

बान ने ज़ोर देते हुए कहा कि हिंसक उग्रवाद स्पष्ट रूप से एक अंतरराष्ट्रीय खतरा है जिसके लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। क्योंकि आतंकवादी गुट क्षेत्रों, संसाधनों और आबादी को नियंत्रित करते हैं। वे लंबे समय तक चलने वाले संघर्षों को भड़का रहे हैं। उन्होने संप्रभु राष्ट्रों के बीच सीमाओं को समाप्त कर दिया है। हिंसक उग्रवाद का फैलाव, जो आतंकवाद के लिए अनुकूल हो सकता है, उसने पहले से अभूतपूर्व मानवीय संकट को और बढ़ा दिया है जो किसी भी एक क्षेत्र का अतिक्रमण कर लेता है।

स्थानीय आबादी को इसकी सबसे ज़्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। लाखों लोग आतंक और भाय में उनके परिवारों की सुरक्षा की खोज में अपने घरों से भाग रहे हैं, यूएन प्रमुख ने घोषणा की।

यह डर कि रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल या फिर परमाणु सामग्री हिंसक उग्रवादियों द्वारा प्राप्त कर उपयोग में लाई जा सकती है, यह चुनौती और भी ज़्यादा अनिवार्य हो जाती है। यह स्पष्ट और आसन्न खतरा है और यूएन ऐसी जटिल इमरजेंसी की रोकथाम के लिए काम कर रही है, बान ने आश्वासन दिया।

इस संदर्भ में, उन्होने 12 फरवरी, 2016 को सर्वसम्मति से अपनाई गई हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के लिए कार्ययोजना (A/RES/70/254) का संदर्भ लिया। सदस्य राष्ट्रों ने इस पहल का स्वागत किया और ज़ोर दिया कि आतंकवाद के अनुकूल हिंसक उग्रवाद द्वारा पैदा खतरे का संबोधन करना अनिवार्य है। यह माना गया कि हिंसक उग्रवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

कार्ययोजना वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर ठोस कार्यवाही के लिए व्यापक और संतुलित दृष्टिकोण पेश करती है। यह पाँच परस्पर संबंधित बिन्दुओं पर आधारित है।

पहला: सबसे पहले रोकथाम की जानी चाहिए। सबूतों से पता चलता है कि सुरक्षा और सैन्य कार्यवाही से अकेले आतंकवाद के संकट को हराया नहीं जा सकता है। वास्तव में, कभी-कभार ऐसी कार्यवाही से विपरीत असर पड़ता है। "उदाहरण के लिए, जब प्रयास नियमों की अनदेखी करते हों और मूल अधिकारों का उल्लंघन करते हों, वे न केवल उन मूल्यों से विश्वासघात करते हैं जिन्हें कायम रखने की वे तलाश में होते हैं, बल्कि हिंसक उग्रवाद को और बढ़ाने का कारण भी बन सकते हैं," कहना था बान का।

ऐसी नीतियाँ जो कि लोगों को एक दूसरे के खिलाफ कर दें और पहले से विमुख समूहों को हाशिए पर खड़ा कर देती हों, उन्हीं हिंसक उग्रवादियों को फायदा पहुंचाती हैं जिनसे लड़ने के लिए उन्हें बनाया गया था, उन्होने आगे कहा।

हालाँकि हिंसक उग्रवाद के संचालकों के साथ बिना देरी सहभागिता कर उनका संबोधन करने की ज़रूरत है, ऐसा कोई अकेला रास्ता और कोई जटिल तरीका मौजूद नहीं है जिससे कि इस रहस्य से पर्दा उठाया जा सके कि कौन हिंसक उग्रवाद को अपनाएगा, बान ने कहा।

"लेकिन, हम जानते हैं कि हिंसक उग्रवाद तब पनपता है जब समावेश की आकांक्षा रखने वाले लोग निराश हो जाते हैं, अधिकारहीन समूहों को समाज से बाहर रखा जाता है, राजनीतिक सहयोग में कमी आती है, मानवाधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है और जब बहुत सारे लोगों - खासकर युवाओं के जीवन में संभावनाओं की कमी आती है और वह अर्थहीन हो जाती है।

महासचिव की योजना संघर्ष की रोकथाम, संघर्ष के निपटारे और राजनीतिक समाधान पर ज़ोर देती है जिनका आधार लोगों की वैध मांगों को सुनना और उनके ऊपर प्रतिक्रिया देना है। पुराने संघर्षों का निपटारा करने और उत्पीड़न झेल रहे लोगों को उम्मीद देने से हिंसक उग्रवाद के प्रजनन को समाप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे अंत में आतंकवाद का खात्मा होगा, उन्होने आगे कहा।

दूसरा: राष्ट्रीय स्वामित्व। योजना में सदस्य राष्ट्रों के लिए सुझाव दिए गए हैं जिससे कि वे राष्ट्रीय स्वामित्व के आधार पर कार्ययोजना की उनकी स्वयं की राष्ट्रीय योजनाएँ तैयार कर सकें। ये राष्ट्रीय कार्ययोजनाएँ प्रभावी हों इसके लिए इन्हें "संपूर्ण सरकार" दृष्टिकोण का उपयोग करना चाहिए और "संपूर्ण समाज" को शामिल करना चाहिए।

हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के लिए धार्मिक और समुदाय के नेताओं, महिला नेताओं, युवा समूह प्रमुखों और कला, संगीत और खेल में अग्रणी लोगों के साथ-साथ मीडिया और निजी क्षेत्र से समर्थन की भी आवश्यकता होती है। "हमें राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर शांति और सुरक्षा, सतत विकास, मानवाधिकारों और मानवीय कर्ताओं के बीच व्यवस्था को बांटना चाहिए," बान ने कहा।

तीसरा: हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के लिए ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है। कोई भी देश या क्षेत्र अकेले हिंसक उग्रवाद के खतरे से निपट नहीं सकता है। संपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एक गतिशील, सुसंगत और बहुआयामी प्रतिक्रिया की ज़रूरत है। "मैं सार्वभौमिक सदस्यता का फायदा उठाने और राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर अंतरराष्ट्रीयी सहयोग को आगे और मजबूत करने के लिए यूएन के अधिकार का संयोजन करने की प्रतिज्ञ लेता हूँ," यूएन प्रमुख ने आगे कहा।

चार: संयुक्त राष्ट्र का समर्थन। यूएन वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के स्तम्भ I और IV के ढांचों के तहत, यूएन "संपूर्ण यूएन" प्रणाली वार दृष्टिकोण के माध्यम से हिंसक उग्रवाद के संचालकों का संबोधन करने में सदस्य राज्यों के बीच अनुभव साझा करने और उनका समर्थन करने को तैयार है। यूएन पहले से ही वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर इन स्तंभों का क्रियान्वयन कर रहा है।

बान ने कहा, जून 2016 में वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति की समीक्षा द्वारा सदस्य राष्ट्रों के समर्थन के साथ यूएन के कार्य में हिंसक उग्रवाद की रोकथाम की अवधारणा को प्रभावी रूप से मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाएगा। “

"मुख्यालयों और फील्ड स्तरों दोनों पर योजना के क्रियान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए मैं यूएन प्रणाली वार उच्च स्तरीय पीवीई [हिंसक उग्रवाद की रोकथाम] कार्य समूह के निर्माण की योजना रखता हूँ, जो जून में इन सुझावों की समीक्षा करेगा," उन्होने आगे कहा।

पाँच: एकता और कार्यवाही के लिए ज़रूरी आह्वान ही कार्ययोजना है। हिंसक उत्पीड़न की रोकथाम के अनेक आयाम हैं, लेकिन युवा महिलाओं और पुरुषों का संरक्षण और सशक्तिकरण करने की ज़रूरत से ज़्यादा महत्वपूर्ण और कुछ नहीं है। वे इसके दुगने शिकार हैं। उन्हें हिंसक उग्रवाद में शामिल होने का लालच दिया जाता है और पार्कों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में उनके ऊपर जानबूझकर हमला किया जाता है, यूएन प्रमुख ने आगे कहा। [IDN-InDepthNews – 8 अप्रैल 2016]

IDN इंटरनेशनल प्रेस सिंडीकेट की फ़्लैगशिप है।

Original <> http://sdgsforall.net/index.php/goal-16/9-sustainable-development-crucial-to-countering-terrorism

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